ऍफ़ एन बी ,कुल्लू-आज उपायुक्त ने आशुतोष गर्ग ने आज यहाँ मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना की द्वितीय त्रैमासिक बैठक अध्यक्षता करते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 16 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना राज्य में शुरू की गई । इस योजना में राज्य के लगभग 2700 अनाथ, अर्धनाथ और विशेष श्रेणी के बच्चों को राज्य सरकार द्वारा चिल्ड्रन ऑफ स्टेट के रूप में अपनाया गया है। इन बच्चों की शिक्षा, पालन पोषण, रहन-सहन, बच्चों को घर और शादी करवाने का लाभ राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के अन्तर्गत अनाथ विशेष रूप से अक्षम बच्चों के अतिरिक्त निराश्रित महिलाओं को भी शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य में बाल देखभाल संस्थान
किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत पंजीकृत है। राज्य सरकार को या तो स्वयं या स्वैच्छिक
संगठनों के सहयोग से हर जिले में संस्थान स्थापित करने का अधिकार दिया है। बाल
देखभाल संस्थान में बच्चों की देखभाल उपचार शिक्षा प्रशिक्षण विकास और पुनर्वास के
लिए देखभाल और संरक्षण में आवश्यकता वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए बाल देखभाल
संस्थानों की सहायता की जाएगी।
उन्होंने कहा कि बाल आश्रम कलैहली , हिमाचल प्रदेश बाल कल्याण परिषद शिमला
के द्वारा जिला कुल्लू में दिनांक 19 सितम्बर 1983 को स्थापित किया
गया है। यहाँ पर वर्तमान में
कुल 8 बच्चे हैं उन्होंने कहा मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के अन्तर्गत
बाल आश्रम कलैहली में गुणात्मक सुधार किये जा रहे हैं
उन्होंने कहा कि कि बाल आश्रम में मुख्यमंत्री सुख आश्रम के अंतर्गत रह रहे बच्चों के लिए
गुणवत्तापूर्ण फर्नीचर / फिनिशिंग बेड बॉक्स बेड साइड टेबल, स्टडी टेबल टेबल लैम्प और अच्छी
गुणवत्ता की अलमारी / लॉकर की व्यवस्था की जा रही है।
उपायुक्त ने बताया कि देखभाल संस्थान में
प्रवेश के समय में बच्चे का चिकित्सा परीक्षण किया जाएगा और उसका चिकित्सा
रिकार्ड रखा जाएगा जिसमें बच्चे का वजन, ऊंचाई, बीमारी उपचार और अन्य शारीरिक या
मानसिक समस्या का विवरण शामिल होता है।
दसवीं से बारहवीं तक के बच्चों को श्रम और रोजगार विभाग, शिक्षा विभाग, अनुसंधान विभाग, चिकित्सा विभाग, विश्वविद्यालय, भूतपूर्व सैनिक या किसी अन्य विशेष
व्यक्ति के माध्यम से इन संस्थान में रह रहे बच्चों का परामर्श दिया जाएगा।
उपायक्त ने जानकारी दी
बालश्रम के बच्चों को एक समय पर विवाह अनुदान राशि रूपये 2 लाख रूपये या वास्तविक जो भी कम
हो कानून के अनुसार विवाह योग्य आयु प्राप्त करने पर दिया जाएगा जिसमें से 51 हज़ार रूपये की राशि शगुन के तौर
पर लाभार्थी के बैक खाते में जमा करवाई जाएगी।
उपायुक्त ने कहा कि संस्थान में रहने वाले प्रत्येक बच्चे के लिए
आवर्ती जमा खाते खोले गए हैं
और 14 वर्ष की आयु तक जिला बाल संरक्षण अधिकारी के साथ संयुक्त खाते रखे
जाएंगे। 14 वर्ष से अधिक आयु के बच्चे नियमानुसार जरूरत पड़ने पर अपना पैसा
निकाल सकते हैं। विभाग द्वारा ही बच्चों के खाते में धनराशि जमा कराई जाएगी।
उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना में अभी तक
उच्च शिक्षा के लिए 3, व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए 1 स्किल डेवेलपमेंट तथा माइक्रो
एव स्माल इंडस्ट्री के लिए क्रमश एक- एक आवेदन निदेशालय द्वारा स्वीकृत किये गए
हैं . इसके उपरांत उपायुक्त ने जिला बाल कल्याण संरक्षण समिति की बैठक की भी
अध्यक्षता की
बैठक की कार्यवाही का संचालन जिला कार्यक्रम अधिकारी ने किया.
बैठक में पीओ डीआरडीए डा
जयबन्ती, जिला कल्याण अधिकारी गिरधारी लाल शर्मा, डा नरेश सहित विभिन्न अधिकारी उपस्थित
थे